लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospyrosis)

 

लेप्टोस्पायरोसिस कैसे फैलता है ?

लेप्टोस्पायरोसिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो लेप्टोस्पाइरा नामक जीवाणु के कारण होता है। यह रोग आमतौर पर संक्रमित जानवरों के मूत्र के संपर्क में आने से फैलता है, विशेष रूप से जब व्यक्ति दूषित पानी, मिट्टी या भोजन के संपर्क में आता है।

लेप्टोस्पायरोसिस किसको हो सकता है?

 यह रोग मनुष्यों और जानवरों दोनों में हो सकता है, और इसका प्रसार विशेष रूप से वर्षा ऋतु में अधिक होता है। 

लेप्टोस्पायरोसिस के कारण 

लेप्टोस्पायरोसिस का मुख्य कारण लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया होता है। यह जीवाणु कई प्रकार के घरेलू और जंगली जानवरों में पाया जाता है, जैसे कि चूहे, कुत्ते, गाय, भैंस आदि। जब ये जानवर संक्रमित हो जाते हैं, तो उनके मूत्र के माध्यम से बैक्टीरिया बाहर निकलता है। यदि कोई व्यक्ति दूषित पानी, मिट्टी या अन्य वस्तुओं के संपर्क में आता है, और उसकी त्वचा पर कट या घाव होते हैं, तो बैक्टीरिया उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है। संक्रमण का तरीका दूषित पानी में तैरना या स्नान करना संक्रमित जानवरों के मूत्र से दूषित मिट्टी के संपर्क में आना खेतों या नदियों के दूषित पानी में काम करना। 
 

लक्षण:

बुखार 
सिरदर्द 
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द 
आँखों का लाल होना 
ठंड लगना 
उल्टी या मतली 
कुछ मामलों में, यह रोग अधिक गंभीर रूप ले सकता है, जिसे वील्स डिजीज कहा जाता है, जिसमें लीवर और किडनी फेल हो सकते हैं। यह स्थिति जानलेवा हो सकती है यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए।

निदान 

लेप्टोस्पायरोसिस का निदान रक्त या मूत्र के नमूनों के जरिए किया जाता है, जिनसे लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच की जाती है। लक्षणों के आधार पर डॉक्टर इस परीक्षण का सुझाव देते हैं, खासकर यदि व्यक्ति उन क्षेत्रों में रहा हो जहां यह रोग अधिक पाया जाता है। 

इलाज 

इस बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक्स, जैसे कि डॉक्सीसाइक्लिन और पेनिसिलिन से किया जाता है। जल्दी इलाज से रोग की गंभीरता कम की जा सकती है और जटिलताओं से बचा जा सकता है। गंभीर मामलों में, अस्पताल में भर्ती होने और विशेष देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। 

रोकथाम 

लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए: दूषित पानी से दूर रहें, खासकर वर्षा के मौसम में। 
जल-जमाव वाले क्षेत्रों में जाने से पहले जलरोधक जूते और दस्ताने पहनें। 
खेतों में या पानी के संपर्क में आने वाले काम करते समय सुरक्षात्मक कपड़े पहनें। 
घर और आसपास की सफाई का ध्यान रखें, ताकि चूहों जैसे जीवों की संख्या कम हो। 
पीने के पानी को उबालकर या साफ़ करके ही पियें। 

अगर किसी में इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके।

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